वो दो फूल
एक दिन राह चलते रूककर तोड़े थे मैंने दो फूल
एक तुम्हारे लिए एक मेरे लिए चटक रंग के फूल
बहुत ही खूबसूरत थे हमारे निस्वार्थ प्रेम की तरह
सोचा था हम मिलने वाले हैं मैं दूंगी तुम्हें एक फूल
दोनों को तोड़ने का गुनाह करके खुश थी मैं बहुत
मिलने की खुशी इतनी कि भूल गयी तोड़े हैं फूल
ना बातें हुई ना...