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char din ki jindgi

CHAR DIN KI JINDAGI "चार दिन की जिंदगी "


जिंदगी के बचे हैं अभी चार दिन ,
जी ले इसको जरा ,जी ले इसको जरा
गम के प्यालों में है गम जरा सा भरा
पी ले इसको जरा ,पी ले इसको जरा।
जिन बहारों को वीरान ,कहता रहा ,
आज भी है हरा ,आज भी है भरा.
जिंदगी के बचे हैं अभी चार दिन ,
जी ले इसको जरा ,जी ले इसको जरा ,


जा रहा है मरा करके तू जो वफ़ा ,
जा रहा है मरा करके तू जो वफा ,
बेवफा बन जरा ,बेवफा बन जरा ,
जिंदगी के बचे हैं अभी चार दिन ,
जी ले इसको जरा ,जी ले इसको जरा।

CHAR DIN KI JINDAGI


जिसकी खातिर जिया ,जिसकी खातिर मरा ,
जिसकी खातिर जिया ,जिसकी खातिर मरा ,
हाल पूँछा न उस ,बेरहम ने तेरा
होके उससे अलग ,खुद को करले खुदा ,
जी ले फिर तू जरा ,जी ले फिर तू जरा।
जिंदगी के बचे हैं अभी चार दिन ,
जी ले इसको जरा ,जी ले इसको जरा।


© Navneet Kumar mishra