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अनिकेत
शांत हवा में धुन सा, एकांत का स्पर्श
दर्पण में दर्पण सा मैं, पर हूं अनिकेत
मधुर संगीत, राग,लय, रस युक्त टेर
हृदय का अजन्मा विचार, मै अनिकेत
परिचित पर चित विहीन पथिक पथ पर
चित्र विचित्र का दर्शनकर मैं अनिकेत
तेरी हर व्यथा का मै एकमात्र उपचार
कोमल पुष्प में निर्दोष भाव,मैं अनिकेत
© All Rights Reserved
दर्पण में दर्पण सा मैं, पर हूं अनिकेत
मधुर संगीत, राग,लय, रस युक्त टेर
हृदय का अजन्मा विचार, मै अनिकेत
परिचित पर चित विहीन पथिक पथ पर
चित्र विचित्र का दर्शनकर मैं अनिकेत
तेरी हर व्यथा का मै एकमात्र उपचार
कोमल पुष्प में निर्दोष भाव,मैं अनिकेत
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