जीत (नज़्म)
तू मुझे छोड़ के लौटा तो नहीं रोया मैं
आज भी हूँ इसी दुनिया में नहीं खोया मैं
आज भी तेरी कही बात को हम रखते हैं
तू चला आयेगा ये भी तो भरम रखते हैं
तेरी बातें जो सभी बाग़-ओ- चमन होती थी
तेरी ख़ामोशी भी तो एक सुख़न होती थी
तू जो हसता तो बहारों सा समाँ होता था
लुत्फ़ अन्दोज़ मैं होता था जहाँ होता था
सबको लगता...
आज भी हूँ इसी दुनिया में नहीं खोया मैं
आज भी तेरी कही बात को हम रखते हैं
तू चला आयेगा ये भी तो भरम रखते हैं
तेरी बातें जो सभी बाग़-ओ- चमन होती थी
तेरी ख़ामोशी भी तो एक सुख़न होती थी
तू जो हसता तो बहारों सा समाँ होता था
लुत्फ़ अन्दोज़ मैं होता था जहाँ होता था
सबको लगता...