दिसम्बर_दोहे
"दिसम्बर" एक ऐसा माह जो मुझे तनिक पसन्द नहीं, इसी माह को समर्पित कुछ स्वरचित दोहे 🥺👇👇
मास दिसम्बर आ गया, ले एकाकी भाव।
कर्तव्यों के राह में, हरे हुए कुछ घाव।।
ठिठुरी–ठिठुरी भोर है, बिखरी–बिखरी शाम।
मास दिसम्बर में प्रिये, हुए विधाता ...
मास दिसम्बर आ गया, ले एकाकी भाव।
कर्तव्यों के राह में, हरे हुए कुछ घाव।।
ठिठुरी–ठिठुरी भोर है, बिखरी–बिखरी शाम।
मास दिसम्बर में प्रिये, हुए विधाता ...