...

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तुझ को ही।
अपने अंदर समाहित तुझको रखता हूं।
तेरी सादगी की महक तेरी याद रखता हूं।
तू इश्क हैं, तू इबादत है मेरी।
तेरे किरदार की महक को
अपने होटों पर रखता हूं।
रोज मुझसे नई कहानियां बनाई नहीं जाती।
तुझको मैं आयत की तरह रोज पढ़ता हूं।
वो जो लोग होते हैं जिस्मों के
टुकड़े हजार करने वाले।
मैं तो तुम्हारी जुल्फो की की महक में
खो जाने की चाहत रखता हूं।
तेरे जिस्म की चाहत कहां मुझे।
मैं तो तेरी रूह में बस जाना चाहता हूं।
वो जो लोग और हैं जो जिस्मों को नोचते है।
में तो तेरे जिस्म की खुश्बू को ...