...

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कब मिलेगा..
दुनिया की तमाम उलझनों से भला कब
हमें छुटकारा मिलेगा ,
कब हमें अपनी जिंदगी में सुकून
दोबारा मिलेगा ..

थक गए हैं अब चुप रहते - रहते ,
भर गया है मन बहुत कुछ
सहते- सहते ..
कब फिर से ज़िंदगी को भगवन् तेरा
सहारा मिलेगा ,
हे कन्हैया कब तू हमको
हमारा मिलेगा ...


© Jaya Tripathi