...

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दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
एक टूटे हुए दिल पे फ़िर से
प्रहार कर रहा है कोई,
टूट गया था जो धागा अब भी
उसको तार तार कर रहा है कोई,
मन की व्यथा को समझकर भी,
ना समझने की कोशिश हज़ार बार,
कर रहा है कोई।
© Tinki
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