...

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शिक्षा
तोड़ अंधेरे की दिवार
आलोक से अवगत कराती है,
जो करे इसका सदुपयोग
उसे जानवर से इंसान बनाती है |
कभी मौखिक, लिखित रूप में आकर
खुद से परिचय कराती हैं ,
तो कभी विकट परिस्थितियों में
हमारी आत्मसम्मान बचाती हैं |
इसलिए इसे प्राप्त करने हेतु
ना होती कोई आयु,
है ये लोक में अति आवश्यक
जैसे कि नीर और वायु |
नर -नारी तथा ऊँच-नीच में
अंतर को ना दर्शाती हैं ,
देकर सबको समान अधिकार
सफलता की राह पर ले जाती हैं |
पर किसी चीज का है अच्छा
तो बुरा भी है उपयोग ,
इसी से कई लोभी शिक्षा पे
डाल रहे अपना प्रकोप |
साथ अनेकों शख़्स हैं उपस्थित
जो ले -देकर समस्त ज्ञान,
बना रहे भिन्न- भिन्न अस्त्र
और ले रहे सबकी जान |
विद्वानों ने कहा जगत से
अगर इसे अपनाओगे
तो संस्कार, बर्ताव संग
चरित्र में सुधार कर पाओगे |
फिर क्यों होकर शिक्षा से सफल
आश्रम में रखते मात -पिता को,
सारे रिश्ते -नातों से मुक्त
दिखाते ज्ञानी अपने आप को |

अतः जीवन के इस आधार को
तुम हमेशा संभाले रखना ,
एक सभ्य समाज ,राष्ट्र की ख़ातिर
पग अपना अग्रसर करना |

© अविनाश कुमार साह
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