दूसरा बचपन
बढ़ चला है
जीवन मेरा...
सूर्योदय से सूर्यास्त की ओर
पुन: कभी न उदित होने के लिए
परंतु दु:ख नहीं मुझे कदापि
बहुत...
जीवन मेरा...
सूर्योदय से सूर्यास्त की ओर
पुन: कभी न उदित होने के लिए
परंतु दु:ख नहीं मुझे कदापि
बहुत...