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बेटी- एक वरदान
आंगन की सुंदरता,
घर की पवित्रता है ,बेटी
बारिश के मौसम की पहली बरसात है, बेटी
चांदनी रात की चमक है, बेटी
गर्मियों में चली ठंडी हवा है ,बेटी
धरती के संताप की तृप्ति है, बेटी
संसार रूपी रथ का पहिया है,बेटी
धरती पर स्वर्ग की झलक है ,बेटी
आज की कविता का विचार है, बेटी
बेटी बिन सूना ये घर
सूना ये संसार
सूना हर गली मोहल्ला।
धीमी है ये धरती की रफ्तार।
© Subhash ranwa
घर की पवित्रता है ,बेटी
बारिश के मौसम की पहली बरसात है, बेटी
चांदनी रात की चमक है, बेटी
गर्मियों में चली ठंडी हवा है ,बेटी
धरती के संताप की तृप्ति है, बेटी
संसार रूपी रथ का पहिया है,बेटी
धरती पर स्वर्ग की झलक है ,बेटी
आज की कविता का विचार है, बेटी
बेटी बिन सूना ये घर
सूना ये संसार
सूना हर गली मोहल्ला।
धीमी है ये धरती की रफ्तार।
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