...

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मैं नहीं जानता
मैं नहीं जानता
जो हृदय में है वह फूल खिल पाएगा कि नहीं
उसे मैं और मुझे वह
मिल पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

यह अधूरा सपना
रोशनदान सा सज पाएगा कि नहीं
वह कोकीली मस्त राग
मेरे आंगन में बोल पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

वह आंखों की तारा
मेरे दहलीज पर मुझ से बतिया पाएगा कि नहीं
वह दिल की धड़कन
मेरा हो पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

या फिर बातें बातों में रह जाएगा
वह हसीन पल आएगा कि नहीं
मेरे आंगन में बैंड़ बाज़
पता नहीं बज पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

जिंदगी खुली किताब है
वह पढ़ पाएगा कि नहीं
एक तड़पते हुए हम रही दिल को
दुआ दे पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

यह घटा यह बादल यह वादियां सिर्फ बातें करेगा
कुछ रंग दिखा पाएगा कि नहीं
बेइंतहा मोहब्बत है मुझे उनसे
कोई उनसे मिला पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

या याद, यादें बनकर रह जाएगा
उसे खबर मेरा कोई बताएगा कि नहीं
बड़ी देर से चक्कर लगा रहा हूं उस गली का
वह घर से बाहर निकल आएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

उसकी फितरत जाने
वह मुझे समझ पाएगा कि नहीं
बड़ी लंबी है जिंदगी
वह मोहर लगा पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

भटकते हुए इस राही को
मुकाम मिल पाएगा कि नहीं
हें ईश्वर बता
मेरा दीदार मुझे गला लगा पाएगा कि नहीं
मैं नहीं जानता,,,,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar