...

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तलाश महबूब की
हम तुमको हर रोज़ अपने ख्वाबों में देखा करते हैं
हम तुमको हर रोज़ अपने अश्कों में ढूंढा करते हैं
कि आपकी यादें कहीं मेरे दिल से निकल ना जाए, सो आपके दिए हर ज़ख्म
हम हर रोज़ कुरेता करते हैं
मेरे हाथों की रेखा आप जैसी हो जाए, और शायद
हम हो जाएं आपके जन्मों-जन्मों तक
अपने इसी दिली ख़्वाहिश में, हम हर रोज़
अपने हाथों में रेखा करते हैं
हाँ, हम तुमको हर रोज़ अपने ख्वाबों में देखा करते हैं
हम तुमको हर रोज़ अपने अश्कों में ढूंढा करते हैं

© Kumar janmjai