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हम तो हैं श्री राम भक्त
हम तो हैं श्री राम भक्त
उनके ही गुण गाते जाएंगे।
राम नाम की महिमा की
यश कीर्ति सुनाते जायेंगे।

दशरथ तनय कौशल्या नंदन
शरणागत की रक्षा करते हैं
अपने भक्तों की पीड़ा सारी
बस निमिष मात्र में हरते हैं।
तुम दीनबंधु करुणा के सागर
अहिल्या का उद्धार किया
निम्न जाति की थी भीलनी
उससे भी तुमने प्यार किया
ऋषि मुनियों की तपस्या को
खंडित करते थे सारे दानव
मार गिराया सभी असुरों को
भय हीन किए सब ऋषि मानव
चरणों में तुम्हारे शीश झुका है
जिह्वा से राम नाम गुण गाएंगे
राम नाम की महिमा की
यश कीर्ति सुनाते जायेंगे।

पिता की आज्ञा मान प्रभु जी
वनिता बंधु संग बन ग़मन किये
निषाद राज संग करी मित्रता
जीवंत उदाहरण निर्माण किये
पांव धुलाकर पवित्र किये और
सहर्ष सरयू मैया को पार किया
जब से अयोध्या छोड़कर आये
सूनी अयोध्या ने हाहाकार किया
गुरुओं की आज्ञा लेकर के
भरत ने बन को प्रस्थान किया
श्री रामचंद्र से विनय किया
संग मेरे अयोध्या लौट चलो
दुख के अभिन्न सागर में
हैं राजा प्रजा सब लौट चलो
काम बहुत है अनुज भरत
कुछ दिन यहाँ बिताएंगे।
राम नाम की महिमा की
यश कीर्ति सुनाते जाएँगे।

अनुनय विनय किया भरत ने
पर श्री राम नहीं वापस आए
लिए पादुका लौटे अयोध्या
क्लांत बेबस मन मुरझाए
चरण पादुका सिंहासन पर
भारत लाल ने किया सुशोभित
भ्राता श्री की आज्ञा से ही
राजकाज भी हुआ उद्घोषित
बिता रहे जंगल में ही दिन
अनुज जानकी सहित रघुवीर
सूर्पनखा का हुआ आगमन
मुग्ध हुई देखें दोऊ वीर
बरण करो मेरा रघुवर
मैं विपुल सुंदरी तुम राज कुंवर
पाणीग्रहण हो चूका हमारा
अनुज लक्ष्मण से करो विचार
नाक काट ली लखन लाल ने
राक्षसी बोली सब मारे जाएँगे।
राम नाम की महिमा की
यश कीर्ति सुनाते जायेंगे।

दसकंधर के पास गई वह
बिलखती वृतांत सभी बतलाया
क्रोधित हुए खरदूषण भाई
बध करने श्री राम के पास आया
हुआ घनघोर युद्ध खर दूषण से
दोनों भाइयों का संघार किया
गई सूर्पनखा लंका में तब
रावण से दो का चार किया
कंचन मृग को साथ लिए
साधु के भेष में रावण आया
छल प्रपंच माया से रावण
जनक नंदिनी का हरण किया
अशोक वाटिका में बैठाकर
रावण लंका में गमन किया
जनक नंदिनी को न पाकर
राम लखन दुखी हो जायेगें।
राम नाम की महिमा की
यश कीर्ति सुनाते जायेंगे।

सुग्रीव संग कर मित्रता
और बाली का संघार किया
कपि सेना सौंप राम को
सुग्रीव ने पर उपकार किया
विचार विमर्श किया सभी ने
कैसे समुद्र पार करें
अधम निर्लज पापी रावण का
सब कैसे मिलकर संघार करें
नल नील ने सेतु बनाकर
सबका मार्ग सुगम कर डाला
पार हुआ कपि दल सारा
जाकर लंका में डेरा डाला
दूत बनाकर बजरंगबली को
सीता की सुधि लेने भेज दिया
हनुमान ने लंका सगरी
तहस-नहस कर जला दिया
हनुमान से महाबली
राम नाम की धूम मचाते जाएँगे।
राम नाम की महिमा की
यश कीर्ति सुनाते जायेंगे।

सारी सेना संगठित करके
लंका पर धावा बोल दिया
जय श्री राम के नारों से
वानर सेना ने सिंहनाद किया
धरो और पकड़ो मारो
जय घोष सुनाते जाते थे
राम रावण के महासमर में
सब अपना पौरुष दिखलाते थे
न जाने कितने योद्धा गण
महा समर का भेंट हुए
सर कट गया किसी जोधा का
न जाने कितने बाँकुरे खेत हुए
मेघनाथ पर विजय हुई
राम ने कुंभकरण को मार दिया
महा भयंकर युद्ध हुआ और
श्री राम ने रावण को मार दिया
सीता मां की बंदि छुड़ाकर
तिलक विभीषण का करते जाएँगे।
राम नाम की महिमा की
यश कीर्ति सुनाते जायेंगे।
© राकेश कुमार सिंह