...

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प्रकृति
ईश्वर ने एक अनोखी कला दिखाई है "
प्रकृति से यह...
खूबसूरत सी सृष्टि रचाई है,
नज़र उठा कर जहाँ-जहाँ भी देखो "
बस प्रकृति ही नज़र आई है.....!!!
कुछ भी कहो,
ईश्वर ने क्या खूब यह सृष्टि सजाई है "
जंगल में चारों तरफ...
सिर्फ और सिर्फ,
हरी-भरी हरियाली छाई है "
इंसानों से भी ज्यादा,,,
ईश्वर ने अपनी कला दिखाई है...!!!
इंसानी कला सिर्फ कागजो और मशीनों तक "
ही सीमित रह पाई है...
देखो जब कभी गौर से,
ईश्वर की कला "
रहस्य ही रहस्य नज़र आई है...
पूरी की पूरी प्रकृति पांच तत्वों के साथ,
घन्ने जंगलो में समाई है....!!!
कुछ भी कहो...
ईश्वर ने बड़ी ही फुर्सत से यह दुनिया बनाई है,
जिन पाँच तत्वों से इंसान की "
धड़कन या साँसे,
चल पाई है...!!!
वह पूरी की पूरी प्रकृति,
ईश्वर ने एक ही स्थान पर बसाई है "
लेकिन प्रकृति भी...
इंसानों की पहुँच से दूर,
जंगलों में महफूज रह पाई हैं "
प्रकृति को सुरक्षित,
रखने की....
सभी जिम्मेदारी पशु पक्षियों "
ने बखूबी निभाई है...!!!
जंगल में मौजूद प्रकृति...
जंगली फूल,पशु-पक्षी पेड़-पौधे, फल "
जंगल में उपस्थित सब कुछ...
अपनी पहचान से पहले,
जंगली कहलाई है...!!!
ईश्वर ने यह जो,
सृष्टि रचाई है "
सिर्फ बनावट से ही नही...
बल्कि रंगों के मामले में भी,
अपनी खुबसूरत कला उन्होंने "
इसमे दिखाई है...!!!
जंगली फूलों, फलों और पेडों में ना जाने "
कैसे रंगो की...
खुबसूरती सजाई है,,,,,,
प्रकृति से ही हुआ है रंगों का अविष्कार "
इंसानों ने प्रकृति से ही...
रंगों की यह,
सुंदर -सी दुनिया पाई है...!!!
प्रकृति ने ही इंसानों को रंग मिलाने की कला सिखाई है,,


© Himanshu Singh