ग़ज़ल
अर्ज़ है ~
ग़म से राहत नहीं चाहिए।
कोई मोहलत नहीं चाहिए।
वो जो मर के मिले, क्या करें,
ऐसी जन्नत नहीं चाहिए।
कोई देता हो ख़ैरात में,
ऐसी उल्फ़त नहीं चाहिए।
जुल्म करने के काम आये जो,
ऐसी ताक़त नहीं चाहिए।
डर के मारे वो सज़दा करें,
ऐसी इज़्ज़त नहीं चाहिए।
ज़िन्दगी बोझ लगने लगे,
ऐसी फ़ुरसत नहीं चाहिए।
लोग पीछे से गाली बकें,
ऐसी शोहरत नहीं चाहिए।
© इन्दु
ग़म से राहत नहीं चाहिए।
कोई मोहलत नहीं चाहिए।
वो जो मर के मिले, क्या करें,
ऐसी जन्नत नहीं चाहिए।
कोई देता हो ख़ैरात में,
ऐसी उल्फ़त नहीं चाहिए।
जुल्म करने के काम आये जो,
ऐसी ताक़त नहीं चाहिए।
डर के मारे वो सज़दा करें,
ऐसी इज़्ज़त नहीं चाहिए।
ज़िन्दगी बोझ लगने लगे,
ऐसी फ़ुरसत नहीं चाहिए।
लोग पीछे से गाली बकें,
ऐसी शोहरत नहीं चाहिए।
© इन्दु
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