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बेफ़िक्रे दिन, बेफ़िक्रे दोस्त!❤️
❤️
बड़ी बदरंग दिखती हैं ये दीवारें दिल की,
इन दीवारों पे काश इक नया रंग हो जाए,
अरसा हुआ, बड़ा ख़ामोश है तू,मेरे दोस्त,
चल आज बचपन जैसी इक जंग हो जाए,
छोड़ नकली बनावटी लबादे संजीदगी के,
ज़माने पुराना वही बेफिक्रा ढंग हो जाए,
और देख के हमारी वो पुरानी मासूम जंग,
बेचैन हो दिल ए दुश्मन, बेहद तंग हो जाए,
खुश थे जो हमारे दिलों की रंजिश देख के,
उन रकीबों के दिल बेइंतेहा दंग हो जाए,
वो मज़ा नहीं आया भले ही चांदी के थे प्याले,
आ, बैठ कुल्हड़ की चाय संग संग हो जाए!
🌺❤️🌺
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
बड़ी बदरंग दिखती हैं ये दीवारें दिल की,
इन दीवारों पे काश इक नया रंग हो जाए,
अरसा हुआ, बड़ा ख़ामोश है तू,मेरे दोस्त,
चल आज बचपन जैसी इक जंग हो जाए,
छोड़ नकली बनावटी लबादे संजीदगी के,
ज़माने पुराना वही बेफिक्रा ढंग हो जाए,
और देख के हमारी वो पुरानी मासूम जंग,
बेचैन हो दिल ए दुश्मन, बेहद तंग हो जाए,
खुश थे जो हमारे दिलों की रंजिश देख के,
उन रकीबों के दिल बेइंतेहा दंग हो जाए,
वो मज़ा नहीं आया भले ही चांदी के थे प्याले,
आ, बैठ कुल्हड़ की चाय संग संग हो जाए!
🌺❤️🌺
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
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