मेरे प्राण प्रिय!!
मेरे प्राण प्रिय,
क्या तुमको तनिक भी आभास है,
जो तुम गुथ गए हो गुज़रे
उसमें अब भी वही सुहास है,
जो तुम लगा गए हो पैरों में जावक,
वो अब भी लाल हैं!!
नीर बदरी में नहीं,
नयनों से उतरता है
मेरा कंठ कंठ से पिया,
प्रेम तेरा यूं झरता है,,
छवि देख रहा है दर्पण मेरी..
उसमें भी तेरा विन्यास है!!
दो मुलायम ओंठ की
पंखुरी तुम क्या छुआ गए,
उर में आनन्द भरा....
तुम प्रेम सिंधु बरसा गए!!
😊❤️
_ ऋषिकेश तिवारी
क्या तुमको तनिक भी आभास है,
जो तुम गुथ गए हो गुज़रे
उसमें अब भी वही सुहास है,
जो तुम लगा गए हो पैरों में जावक,
वो अब भी लाल हैं!!
नीर बदरी में नहीं,
नयनों से उतरता है
मेरा कंठ कंठ से पिया,
प्रेम तेरा यूं झरता है,,
छवि देख रहा है दर्पण मेरी..
उसमें भी तेरा विन्यास है!!
दो मुलायम ओंठ की
पंखुरी तुम क्या छुआ गए,
उर में आनन्द भरा....
तुम प्रेम सिंधु बरसा गए!!
😊❤️
_ ऋषिकेश तिवारी