स्वच्छ और सत्य मन से...
धागे में पिरोया गया
मणिकों के माला की सहारा का
क्या जरूरत है
ईश्वर को याद करने के लिए..!?
स्वच्छ और सत्य मन से
याद करो,
बस, ईश्वर की कृपा तुम पर
बरकरार रहेगा ।।
ईश्वर को
न कोई जप तप से पा सकेंगे,
न कि, पूजा पाठ से।।
ईश्वर को तो
स्वच्छ मन की प्यार चाहिए।।
शुद्ध हृदय से याद करना पसंद है,
संस्कृति सभ्यता संस्कारों का गुण चाहिए,
विनय, विनम्रता, पवित्र भावना चाहिए।।
आत्म स्मृति और
आत्माभिमान स्थिति द्वारा
परमात्मानुभूति करनेवालों को
ईश्वर पसंद करता है।।
© Vanishri Patil
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मणिकों के माला की सहारा का
क्या जरूरत है
ईश्वर को याद करने के लिए..!?
स्वच्छ और सत्य मन से
याद करो,
बस, ईश्वर की कृपा तुम पर
बरकरार रहेगा ।।
ईश्वर को
न कोई जप तप से पा सकेंगे,
न कि, पूजा पाठ से।।
ईश्वर को तो
स्वच्छ मन की प्यार चाहिए।।
शुद्ध हृदय से याद करना पसंद है,
संस्कृति सभ्यता संस्कारों का गुण चाहिए,
विनय, विनम्रता, पवित्र भावना चाहिए।।
आत्म स्मृति और
आत्माभिमान स्थिति द्वारा
परमात्मानुभूति करनेवालों को
ईश्वर पसंद करता है।।
© Vanishri Patil
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