...

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अकेले चलकर देखो
कभी रास्तों पर अकेले चल कर भी देखो
क्या पता कोई साथ देने वाला मिल जाए,
और नहीं भी मिले तो भी क्या
तू तो बना ही है
लड़कर आगे बढ़ने के लिए ।
क्युं किसी और कि फिक्र करता है तू
कभी ना कभी तो तुझे अकेले आना ही है,
तो अभी ही क्युं नहीं कर रहे तुम स्वीकार
सच्चाई इस दुनिया की,
यहां अपना कोई नहीं होता
पर जरूरत के वक़्त सब अपने से लगते हैं,
पर सच्चाई तो ये है कि
भरा हुआ ये जग सारा, खुदगर्ज लोगो से ।
यहां सब ऐसे ही हैं
जो कभी तुम्हें सिर पर चढ़ा लेते हैं
और फिर जमीं पर गीरा देते हैं,
तुम बस लड़ते रहो,कर्म अपना करते रहो
बाकी सफलता तो मिलेगी ही तुम्हें कभी ना कभी ।।
© chhipi__kalam