...

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fakir hu mai
कबतक ऐ ज़माने तेरे जख्मो को सहु मै
फ़क़ीर हु मै, तेरी साजिसो से कोसो दूर हो मै
यु तो कमी सब मे होती है, पर दिखाई तुझे मुझमें ही देती है !
रोजाना बस तेरा रोना तो नहीं रो सकता मै
इसलिए फ़क़ीर हु मै!
आज जमाना मोहब्ब्बत को खेल समझता है, और तुलना मुझसे करता है !
मै आज भी माँ बाप को भगवान समझता हु ,और मोहब्ब्बत भी पूरी सिद्धत् से करता हु !
मै ज़माने के साथ ढलने के बजाये उससे कोसो दुर रहता हु
इसलिए बस फ़क़ीर हु मै !
इस जामाने के झूठे रिश्तों से वकिफ् हु मै
इसलिए फ़क़ीर हु मै
कर्म का पुजारी हु मै, इसलिए दिल साफ रखता हो मै!
नाह मेल रखता किसी के लिए इसलिए शायद अकेला हु मै!
पर खुश हु मै, ज़माने से कोसो दुर हु मै !
फ़क़ीर हु मै ,!✨
, thank uhh soo much for patience☺️