...

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fakir hu mai
कबतक ऐ ज़माने तेरे जख्मो को सहु मै
फ़क़ीर हु मै, तेरी साजिसो से कोसो दूर हो मै
यु तो कमी सब मे होती है, पर दिखाई तुझे मुझमें ही देती है !
रोजाना बस तेरा रोना तो नहीं रो सकता मै
इसलिए फ़क़ीर हु मै!
आज जमाना मोहब्ब्बत को खेल समझता है, और तुलना मुझसे करता...