...

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Aaj
हैं खाली हर खिड़की आज ,
सिर्फ आवाज़ हैं परिंदों की बाहर

कैद कर दिया हैं कुदरत ने इंसान को ,
सुना हैं ताजी हवा हैं आज बाहर

अपनी ही ख़ामोशी अब सुन नहीं पाता मैं,
कहते हैं आज शोर बहोत कम हैं बाहर

वक़्त भी थम गया हैं चार दीवारी में आज,
बेकदरा हैं वैसे तो...