...

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कोई पूछे तो बताए
क्या हो गया दिल का हाल हमारा
क्यूँ रहने लगा है बेचैन बिचारा
उदासियों भी देने लगी है पहरा
खामोशियों से भी हो गया रिश्ता गहरा
सूख गई क्यूँ मन उपवन की लताए
कोई पूछे तो बताए

अपने, अपने आप में लीन हो गए
साँपो से ज्यादा सपेरे और बीन हो गए
भाई नहीं रहा भाई का खास
तो बताओं फिर लगाए किससे आस
झूठे रिश्तें मुझसे जाते नहीं जताए
कोई पूछे तो बताए

अकेले रहना भी सिख जाएंगे
पर लटकाकर मुंह किसी के सामने नही आएंगे
दुःखो का लगा हुआ जो ताँता है
उसी से अब मेरा नाता है
ह्रदय भी नहीं करता किसी ओर को सताए
कोई पूछे तो बताए