...

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मैं तुम्हे लिखूं भी तो क्या लिखूं !
बैठे बैठे मुझे एक खयाल आया,
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आज क्यों ना हम दोनो के बारे में कुछ लिखूं !
पर मसला ये है की मैं लिखूं भी तो क्या लिखूं ?
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पहले थोड़ा सा तुम्हे लिखूं,
फिर थोड़ा सा खुद को लिखूं
जो रिश्तों को दिल से निभाए
मै तो तुम्हे दोस्ती की मिसाल लिखूं ,

मै तुम्हे अपना सवाल लिखूं
मै तुम्हे ही अपना जवाब लिखूं
तुम्हे अपनी कहानी लिखूं
मै तुम्हे ही उसका सार लिखूं
मै तुम्हे अपना जज्बात लिखूं
तुम्हे ही मै अपना ख्वाब लिखूं
तुम्हे ही अपनी शान लिखूं
तुम्हे ही अपनी पहचान लिखूं
मै तुम्हे ही अपना प्यार लिखूं
तो तुम्हे ही अपना संसार लिखूं ,


मैं तुम्हे अपनी सीता लिखूं
खुद को तेरा राम लिखूं
मै तुझे अपनी राधा लिखूं
खुद को तेरा श्याम लिखूं ,
मै तुम्हे अपनी पार्वती लिखूं
खुद को तेरा भोलेनाथ लिखूं
हां, मै लिखूं तुम्हे ही गीता
और तुम्हे ही कुरआन लिखूं,

लिखूं मै तुम्हे तपती कड़ी धूप
तो तुम्हे ही मै पेड़ों की छाव लिखू
मै लिखूं तुम्हे वो गहरा समुंदर
तुम्हे ही मै अपना आसमान लिखूं,

मै तुझे ही अपनी दरिया लिखूं
तुझे ही अपना किनारा लिखूं
मै तुम्हे अपना रास्ता लिखूं
मै तुम्हे ही अपना ठिकाना लिखूं ।

मै तेरी हल्की सी मुस्कान लिखूं
या तेरी बातों की दास्तान लिखूं
मेरी खुशियों की वजह सिर्फ तू है
मै तो हर जगह तेरा नाम लिखूं ।

© Akshay Verma

#hindipoem #Love&love #friendship