वस्ल
ताउम्र रहेंगे दर बदर
कि कुछ समाधान होगा,
कभी दरमियां कुछ न होगा
कि वस्ल सिर्फ अरमान होगा!
वह भी वाकिफ है
फितरत से वक्त की,
जहां आज शाम ढली है
कल सूरज वहीं...
कि कुछ समाधान होगा,
कभी दरमियां कुछ न होगा
कि वस्ल सिर्फ अरमान होगा!
वह भी वाकिफ है
फितरत से वक्त की,
जहां आज शाम ढली है
कल सूरज वहीं...