...

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अदृश्य फरिश्ता
प्रसव-पीड़ा के दर्द से सराबोर,
एक मैया तड़प रही थी,
न था, कोई पूछने वाला,,
न था कोई देखने वाला।
न जाने कहां से , आया कोई फरिश्ता,
प्रसव हो जाने तक, देखभाल किया भरपूर,
फिर मैया के हाथों में,
थमा उस नन्ही-जान को,
अदृश्य हो गया पल भर में।
रह गई ढूंढती मैया, उसे फरिश्ते को,
चारों तरफ खोजबीन करती रही,
सबसे पूछा, पर सब बताने में रहे असमर्थ।
आंखें मूंद, हाथ जोड़कर,
कर उसे ईश्वर को धन्यवाद।
समझ गई वो फरिश्ता,
कोई और नहीं,
स्वयं उसके प्रभु थे।
डाॅ. अनीता शरण।