कश्मकश,,
तुमसे मिलने की तमन्ना बोहोत है मुझे,
मगर तेरे रूबरू होने से डर लगता है,
इश्क़ तो है तुमसे,
मगर कुछ कहने को दिल नहीं कहता है,
कभी लगता है जी भर के निहारूं तुझे,
तो कभी तेरी आँखों में डूब जाने को दिल करता है,
ये कैसी बेबसी, कैसी कशमकश है,
दिल की हर एक बात दिल के किसी कोने में बसी रहती है,
जब भी तुझे देखूं,
आँखों में बसा तुझे, फिर भी तेरी हकीकत नजर नहीं आती,...
मगर तेरे रूबरू होने से डर लगता है,
इश्क़ तो है तुमसे,
मगर कुछ कहने को दिल नहीं कहता है,
कभी लगता है जी भर के निहारूं तुझे,
तो कभी तेरी आँखों में डूब जाने को दिल करता है,
ये कैसी बेबसी, कैसी कशमकश है,
दिल की हर एक बात दिल के किसी कोने में बसी रहती है,
जब भी तुझे देखूं,
आँखों में बसा तुझे, फिर भी तेरी हकीकत नजर नहीं आती,...