सतरंगी ज़िंदगी
कभी लगती पानी से रंग की,
कभी लाती कालिमा रात की,
कभी खिल जाती बसंत जैसी,
कभी मुरझा जाती पतझड़ सी,
कभी बरसाये खुशी वर्षा जैसी,
कभी लगती सुस्त बंजर जैसी,
© feelmyrhymes {@S}
कभी लाती कालिमा रात की,
कभी खिल जाती बसंत जैसी,
कभी मुरझा जाती पतझड़ सी,
कभी बरसाये खुशी वर्षा जैसी,
कभी लगती सुस्त बंजर जैसी,
© feelmyrhymes {@S}
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