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हारे हुए लोग
समझ में ही नहीं आता कि मैं ऐसा था तो क्यों अब तक
मुझे बस जीत के ही ख़्वाब नज़र आते थे आख़िर क्यों
मुझे सबने बताया था कि जीतोगे तो ख़ुशहाली
तुम्हारी दस्तरस में होगी और तुम ही बादशाह होगे
मुझे भी शौक़ था कुछ बादशाही से ख़यालों का
तो मुझ को भी लगा कि जीत ही दुनिया में सब कुछ है
जो इसको पा लिया तो फिर कभी मायूस न होंगे
हमारे नाम के सारे चरागों में वो लौ होगी
कि जिसकी रौशनी से सारे रस्ते जगमगाएंगे
जहाँ सब कुछ हमारे ही मुताबिक़ चल रहा होगा
जहाँ मेरी रज़ामंदी में ही सबकी रज़ा होगी
जहाँ मेरी ही बातों पे तो सारे मुस्कराएंगे
जहाँ सब लोग मेरे ही तराने गुनगुनाएंगे
मुझे सबने बताया जीत में ही कामयाबी है
भला अब कामयाबी से शग़फ़ किसको नहीं होता
तो मैं भी होड़ में बस चल दिया कि जीतना ही है
जो मैं ने जीत के मा'नी निकाले थे, ग़लत थे सब
जो मुझको जीत के रस्ते बताते थे, ग़लत थे सब
ये ऐसी जीत जिसको जीत कर भी हार लगती हो
ये ऐसी जीत जिसमे ज़िंदगी बेकार लगती हो
जहाँ हारे हुए को ज़िंदगी सब कुछ सिखाती है
उसे हंसना सिखाती है उसे रोना सिखाती है
क़दम जब लड़खड़ाएं तो खड़े होना सिखाती है
ज़रा सोचो कि सारे ज़िंदगी के रम्ज़ हैं तो हैं कहाँ
भला वो किसके दामन में निहाँ हैं ,और किसे हासिल
वही तो है जो सारी ज़िंदगी को जीत न पाया
हक़ीक़त में वही तो ज़िंदगी को जी रहा है
वही तो है जो ज़ख्मों को बराबर सी रहा है
मगर हम जीत के तालिब अगर्चे जीत जाएं तो
हम ही हारे हुए लोगों का हक़ भी मार जाते हैं
तो ये हारे हुए ऐसे भी जीना सीख लेते हैं
और आखि़र ज़िंदगी की जंग को भी जीत जाते हैं
भले हम ज़ाहिरन तो जीतते हैं ख़ुश भी होते हैं
मगर हम जीत कर भी आख़िरश तो हार जाते हैं


शाबान नाज़िर-





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