चार जून की बात है
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
कब किसकी क्या सौगात है।
चार जून की भोर है
मुख मुस्कान लाली है
गजब की हरियाली है
और न्योते के पैगाम से कल्लू ने
आज की शाम दावत लिख डाली है।
चार जून की दोपहरी है
सूरज ने आग बरसा रखी है
नारद ने भी...
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
कब किसकी क्या सौगात है।
चार जून की भोर है
मुख मुस्कान लाली है
गजब की हरियाली है
और न्योते के पैगाम से कल्लू ने
आज की शाम दावत लिख डाली है।
चार जून की दोपहरी है
सूरज ने आग बरसा रखी है
नारद ने भी...