!! बरसात के दिनों में !!
बरसात के दिनों में तुम्हारे प्रेम की यादों में डूब जाता हूं,
बारिश की बूंदें खिड़की की जाली से टकराकर बौछार बनकर शरीर को भींगा देती है,और तन मन को छुकर मेरे ज़हन में तुम्हारे यादों की छींटे बरसा...
बारिश की बूंदें खिड़की की जाली से टकराकर बौछार बनकर शरीर को भींगा देती है,और तन मन को छुकर मेरे ज़हन में तुम्हारे यादों की छींटे बरसा...