...

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!! बरसात के दिनों में !!
बरसात के दिनों में तुम्हारे प्रेम की यादों में डूब जाता हूं,
बारिश की बूंदें खिड़की की जाली से टकराकर बौछार बनकर शरीर को भींगा देती है,और तन मन को छुकर मेरे ज़हन में तुम्हारे यादों की छींटे बरसा जाती है।

जब बारिश की बूंदें मिट्टी में गिरती है
तो..मिट्टी से सौंधी खुशबू आती है!!
फिर ठंडी का एक झोंका आता है तब शायद लगता है कि तुम्हारे कोई संदेश हो, और मैं दौड़कर बाहर आता हूं, पर मुझे दिखता है पेड़ों की लहराने शाखाएं और हवाएं.. जो तुम्हारे होने का महसूस कराकर बदन से गुजर जाती है।
😊❤️
_ ऋषिकेश तिवारी