...

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हर परिंदा को मौत आनी है
हर परिंदा को मौत आनी है
हर कोई यहाॅं पे बे मकानी है।

सूखे ऑंखों में भी कहानी है
दूर सहरा के बाद पानी है।

इक शजर से अलग हुआ इक फूल
ये ख़िजाॅं उसकी ही निशानी है।

कोई ख़ामोश यूॅंही होता नहीं
हर समंदर की इक कहानी है।

कोई रुकता नहीं किसी के लिए
ज़िंदगी की यही रवानी है।

© Shadab

2122 1212 112/22

सहरा= रेगिस्तान
शज़र = पेड़
ख़िजाॅं=पतझड़
रवानी= बहाव