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#Gazal @Nakaam sir
दुआ सुन ली ख़ुदा ने वो भी हम पे महरबाँ सा है,
हुई जब से है उनसे बात दिल ये शादमाँ सा है।

अदब करते हैं जिसको मानते उस्ताद हैं हमसब,
मिला अहबाब के जैसे लगा वो हमज़बाँ सा है।

बहुत मुश्किल वख़त था ज़िन्दगी का उनसे क्या कहती,
मगर दो बात की जो दिल का आलम खुशनुमाँ सा है।

वो तन्हा ही चले थे इस ग़ज़ल की पाक़ राहों पर,
जो मुड़ के देखते हैं वो तो पीछे कारवाँ सा है।

जुड़े हैं आपसे सर जी तो लिखने का सबक़ सीखा,
ग़ज़ल का ये मुबारक़ क़ाफ़िला इक दास्ताँ सा है।

उन्हें अपनी ग़ज़ल में ढालना मुश्किल लगे "मीना",
नज़र में सबकी उनका क़द तो ऊँचे आसमाँ सा है।

#Naakaam सर जी आप के लिए कुछ भी कह पाना इस कलम की पहुँच से बहार की बात है 🙏🏻पर इस नए साल पर एक छोटी सी ग़ज़ल बतौर नज़राना पेश करने की नाचीज़ सी कोशिश है 😊🙏🏻💐💐