...

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चंद अशआर

जिन्हें चाहा किये।
वो बस परखा किये।

कई हैं हमसफ़र,
सफ़र तन्हा किये ।

किये क्या उम्रभर,
यही सोचा किये।

समय था नींद का,
मगर जागा किये।

न जाने किस लिये,
बस हम भागा किये।

© इन्दु