...

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चुप्पी
स्वभाव सरल शान्त
मन सदा हर्षित
उल्हास से भरा ओ काल
याद है ना आप सभी को
बचपन, जवानी या बुढापा
कोई भी हो ये काल
पर अन्जान भविष्य का आना तै
छुपा उसमे, ऐसे कई पहलू
जो उससे गुजरे, तो सहम जाए
सम्भावनाऐं अनेक, पर सुलझ जाऐ,
तो खिलखिला उठे फिर ओ काल
कहां कोई सुलझा पाता,
सब मे ही हें, बहुत अनसुलझे दास्तां
याद हे ना, ओ अजीब सी घुटन
न गले से नीचे जाती, न जुवां से बाहर आती
रह जाती बस, खामोशी, तनहाई, ओर
गले से लगा लि जो, ऐसी ऐक चुप्पी

@heartly

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