...

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सिर्फ तुम
मृग के जैसे नैन तुम्हारे, काली घटाओं जैसी लटाए,
चलती हो स्वर्ग की अप्सरा जैसे, घायल करती ये अदाएं,
मुस्कान में चमकता चेहरा जैसी सुबह की खिली हो धूप,
होठों पर लाली तुम्हारे जैसे गुलाब की पंखुड़ियों7 का हो नूर,

बातों में सादगी ऐसे जैसे हो कामधेनु का रूप,
सुंदरता का सागर हो तुम, लगाता हो प्रेमी इसमें डूब,
आवाज में एक गजब सा नशा, मदहोश करती इशारे,
खुश नसीब है वो शख्श जो हमेशा पास रहता तुम्हारे।।।।