सिर्फ तुम
मृग के जैसे नैन तुम्हारे, काली घटाओं जैसी लटाए,
चलती हो स्वर्ग की अप्सरा जैसे, घायल करती ये अदाएं,
मुस्कान में चमकता चेहरा जैसी सुबह की खिली हो धूप,
होठों पर...
चलती हो स्वर्ग की अप्सरा जैसे, घायल करती ये अदाएं,
मुस्कान में चमकता चेहरा जैसी सुबह की खिली हो धूप,
होठों पर...