...

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तुम जा रहे हो.!
तुम जा रहे हो तुमको क्या
तुम्हारे हिज्र में लम्हा भी साल होगा

तेरे बग़ैर भी तुझसे इश्क़ करेंगे हम
मिरा इश्क़ भी इक रोज़ मिसाल होगा

तेरी जुदाई वार करेगी दिल पे
और तेरा‌ ग़म ही दिल के लिए ढाल होगा

जब होगे तुम किसी ग़ैर की बाँहों में
इक पल को सही क्या मिरा ख़याल होगा

तुम लौट आना बिना कुछ सोचे-समझे
ग़र कभी तुम्हें अपने किए पर मलाल होगा

तुम ख़ामोश रहना कुछ न कहना
और मेरे लबों पे भी नहीं कोई सवाल होगा

मैं दिल भी बिछा दूँगी कदमों में तेरे
तेरे वास्ते हर‌ दम‌ मेरी बाँहों का हार होगा