...

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मन दर्पण
ऐसा होना चाहिए मन,जैसे हो दर्पण।।
इतना उजला ,इतना साफ
अनजाने में भी ना हो तुमसे कोई पाप।

कभी सरवट आए चेहरे पर,
तो जाना दर्पण के पास ,
ध्यान से देखना खुद को ,
क्या यही चेहरा है तुम्हारे पास?
ऐसा होना चाहिए मन,जैसे हो दर्पण।।

अगर कभी कोई आए उलझन ,
एक बार देखना तुम दर्पण ,
और कह देना सारी मन की बात,
हल निकल आएगा खुद ही ,
फिर आएगा जीवन में उल्लास ,
ऐसा होना चाहिए मन,जैसे हो दर्पण।।

काया तो खूब देखते हो अपनी,
कभी मन भी देख कर देखना,
समझ आएगा तुमको ,
ये काया तो है दिखावटी श्रृंगार,
ऐसा होना चाहिए मन, जैसे हो दर्पण ।।

अगर जीवन मैं मिले धोका कभी,
तो एक बार झांकना अपने मन के अंदर,
सब भूल जाओगे जूठे रिश्ते,
आएगा खुद में विश्वास,
ऐसा होना चाहिए मन,जैसे हो दर्पण।।



© nehachoudhary