...

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मेहनत और यकीन।
रुका तो मैं जब, रुक कर मैं जब सुनने लगा
बहते झरने को ठोकर क्या फिर पत्थर क्या।

जो हर वक़्त निखरना जानते है फिर क्या गम
उड़ते खुश्बू को आंधी क्या फिर बारिश क्या।

भरोसा खुद की पैरों पर हो फिर क्या गम
खिलते फूलों को तपिश क्या फिर छाया क्या।

जब फितरत हो खुद को दुहराने की
उगते सूरज को हमसे क्या फिर तुमसे क्या।
© Danish ppt