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गज़ल- इश्क़
तुम हो सांसों में जिंदगी जैसे,
चांंद के साथ चांदनी जैसे।
जब भी आता खयाल है तेरा,
दिल में बजती है रागिनी जैसे।
तुम हो ख्वाबों खयाल में मेरे,
मन के मंदिर में बंदगी जैसे।
तेरे आने से दिल की महफ़िल में,
एक रौनक सी आ गई जैसे।
देख तुमको मचल यूं जाता है,
दिल ये बच्चा हो लालची जैसे।
बात वो सब हुईं पुरानी सी,
आज है "शैल" अज़नबी जैसे।
© शैलशायरी
चांंद के साथ चांदनी जैसे।
जब भी आता खयाल है तेरा,
दिल में बजती है रागिनी जैसे।
तुम हो ख्वाबों खयाल में मेरे,
मन के मंदिर में बंदगी जैसे।
तेरे आने से दिल की महफ़िल में,
एक रौनक सी आ गई जैसे।
देख तुमको मचल यूं जाता है,
दिल ये बच्चा हो लालची जैसे।
बात वो सब हुईं पुरानी सी,
आज है "शैल" अज़नबी जैसे।
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