...

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नारी
एक रूह में है जाने कितने रूप समाए,
हे नारी कोई तेरी रचना न जान पाए,
सुनती है रोती है फिर भी साथ निभाए,
हे नारी तू कहाँ से इतनी शक्ति लाए,
बन जाती है काली तू ही रूप लक्ष्मी का,
हे नारी तू कैसे ख़ुद है पर काबू पाए,
कहाँ गई तेरी ख्वाइशें कहाँ गए सपनें,
हे नारी क्यों ख़ुद को हर बार हराए,

© feelmyrhymes {@S}