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खतम हो रहे हैं ..❤️❤️✍️✍️ (गजल)
मुझ पे कब से सितम हो रहे हैं
मेरे हरजाई सनम हो रहे हैं

जितने पास जा रहा हूं मैं
फासले ना ही कम हो रहे हैं

उसे भी चिन्ता थी दुनिया की
कितने बेचैन हम हो रहे हैं

रखना चाहा संजोकर जिन्हें
वही रिश्ते खतम हो रहे हैं

मुझको देखकर वो 'सत्या'
ना जाने क्यों गरम हो रहे हैं

दूर रह दुनिया से ए 'बसर'
लोग यहां बे रहम हो रहे हैं

कब तक सहोगे साहब तुम
सभी उल्टे करम हो रहे हैं

मोहब्बत की उम्मीद छोड़ दी
लोग सब बे शरम हो रहे हैं

बाद में दिल दुखायेंगे तेरा
अभी लोग जो नरम हो रहे हैं

अब किसी काम का है नहीं
मेरे दिल पर जखम हो रहे हैं




© Shaayar Satya