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shivam namamah
निराकार के वस्त्र पहने चलते हैं जो
लहू के आग से जलते हैं वह
सदा ब्रह्मा रुपए की स्थापना करते हुए कहते हैं वह
ज्ञान और अज्ञान के परिचय देते हैं वह
निरंजन वर्ब अवस्था पर दुनिया स्थापित करते हैं वह
नटराज की स्थापना से पूजते हैं वह
तुम ही हो वस्त्र आभूषण
तुम ही हो दीवानगी
हर्ष और उल्लास का प्रतीत हो तुम
दुविधा का निर्णय निर्णय हो तुम
सदा आपकी प्रतीक्षा में
वह देवों के देव महादेव
निरंतर है वह आत्मरक्षा का बंधन है वह
ओ कर्पूर गौरम करुणावतारं
सदा इस शक्ति का प्रकाश है वह
जिसे दुनिया को चलाते हो आप
लहू लुभाते शिवम न माम