...

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प्रश्न
क्या पुरुष भी हताश होता है।
टूट जाने पर प्रेम के अनुबंध ।
क्या उदास होता है।।

विचलित करता हुआ उसका मन।
किसी के स्मरण से ,वेवस ओर वेचाल होता है।।

क्या पुरुष,,,

सौगंध जो लेता है ,जीवनपर्यंत निभाने की ।
छूटते हाथ से उस अवसर को ।
क्या उसका भी मन क्षीण क्षीण होता है।।

क्या पुरुष भी,,

जो राग किसी के ह्रदय तले सुरभित किया था उसने ।
उसे बेसुरा देख ,वो अवेविकी होता है।।

क्या पुरुष,,,

अनेक रंगों से रंगीत वो किसी के अंग में रंगता है
जब फीके पड़े उन रंगों की चमक ।
स्वां को रंगहीन देख ,अपना आत्मविश्वास खोता है।।
क्या पुरुष,,,

जतन हजार करता हो ।
किसी को जीवंत सुख देने की किंतु ।
गुजरते दुख भरे लम्हे देख ।
नयनों से नीर बहाता है।।

क्या पुरूष,,,,

© Sarthak writings