मेरी ज़िद.....By-The Sagar Raj Gupta "कवि जी"
मेरी ज़िद है जमीं को उठाने की और,
आसमां के ऊपर जाकर आसमां को पैरों तले रौंद जाने की।
मेरी ज़िद है पसीनों के सागर में नहाने की और,
जिश्म का क़तरा क़तरा देश के लिए कुर्बान कर जाने की।
मेरी ज़िद है मेहनत का करिश्मा दिखाने की और,
जज्बे से खुद को जीत जाने की।
मेरी ज़िद है की आँसूओ के ज़लज़ला से टकराने की,
और दिल- दिमाग पर काबू कर अपने लक्ष्य को हासिल के...
आसमां के ऊपर जाकर आसमां को पैरों तले रौंद जाने की।
मेरी ज़िद है पसीनों के सागर में नहाने की और,
जिश्म का क़तरा क़तरा देश के लिए कुर्बान कर जाने की।
मेरी ज़िद है मेहनत का करिश्मा दिखाने की और,
जज्बे से खुद को जीत जाने की।
मेरी ज़िद है की आँसूओ के ज़लज़ला से टकराने की,
और दिल- दिमाग पर काबू कर अपने लक्ष्य को हासिल के...