🌠आखिरी शाम 🌠
अरे, ज़रा देखने दो मुझे जो उसने पहली बार
आँखे खोली हैँ....
चूम लो उन हाथों को
इनके लिए तो मेरी सारी तकलीफें थोड़ी हैँ !
अब कोशिश ना करो यूँ दुलार छुपाने की !
अरे देखो तो ज़रा... इसकी कलाइयां तो मुझसे
भी गोरी हैँ......
देखो तो कैसे खिलवाड़ कर रही है,
दादी की गोद में जाने को कैसे इकरार कर रही है
अरे सँभाल कर.... यूँ आदत नहीं तुम्हें गोद
लेने की !
कुछ कह भी दो अब !!!
अब तो मेरी हसरतें भी तुम्हारी खामोशी से कुछ
सवाल कर रही हैँ ....
नए मौके आए हैँ, नई यादें बनाने के !
क्या हुआ अगर वो पुरानी यादें कहीं छूट सी रही हैँ !
जो जान है ना, नन्ही सी, तुम्हारी गोद में,
यकीन मानो.. उसकी वजह से नहीं, उसके लिए
मेरी साँसे आज कुछ टूट सी रही हैँ !
अरे ख़ुशक़िस्मत हो तुम !
ख़ुशक़िस्मत हो तुम कि वो किलकारी उठी तुम्हारी
गोद में... पहली बार वो उन बाहों में ही खेली है...
मैं तो तरस गई उसे सीने से लगाने के लिए...
जिसकी सिर्फ झलक पाने के लिए मैंने वो दर्द
भरी रातें पूरे नौ महीनों तक झेली हैँ !
ज़रा गौर करो कैसे पाँव हिलाकर तुम्हें हँसाना
चाहती है,
जिन आँखों से आँसुओ की ज्वाला है बह रही,
देखो उन्हें हमेशा के लिए वहाँ से मिटाना चाहती है !
वो जानती कुछ नहीं...
फिर भी आज वो मेरी जगह, मेरी तरह
तुम्हें रोते -रोते हँसाना जानती है !
अरे खुशियाँ मनाओ,
ये खुशियां हमारे आँगन में कितने दिनों
बाद लौटी हैँ,
देखो, ऐसे ठुकराओ मत इन्हें
देखो उसकी आँखों में, उसकी पुकार सुनो...
अच्छा यही मान लो कि खुदा ने तुम्हारी एक जाँ
लेकर एक जाँ और सौंपी है !
यूँ मायूस देखकर तुम्हें बताओ वो क्या सोचेगी,
हर बात पर है रोना.. बस यही सीखेगी !
ज़रा सोचो तुम्हारे बिना वो कैसे रहेगी,
माँ के आँचल में छुपकर भूख मिटाना भी जिसे
नसीब नहीं हुआ,
अब पापा की नफरत भी वो कैसे सहेगी.....
तुम प्यार हो मेरा,
तुमने नज़रें मिलाकर कहा है....
और इन लवजों का समंदर मेरे अंदर अब तक रहा
है !
देखो वो काँप रही है.....
उसे प्यार से अपनी बाहों में लपेट लो...
मेरी इक हसरत है कि
इस समंदर को तुम दोनों अब आपस में ही
समेट लो !
अब यूँ ही जा रही हुँ छोड़कर
हाय मैं मर्जावा कैसी दिव्य उसकी सूरत है....
और तुम जिसे मेरी मौत का जुर्मी हो समझ रहे !
अरे ज़रा गौर से देखो उसे... वह तो मेरी ही मूरत
है !
मैं तो बस ज़रिया थी एक इस नन्ही जान को निचे
उतारने का....
उसे वजह नहीं, मेरी मौत को उसके लिए मेरी
शहादत कहो ....
दूर जा रही हुँ अपनी दो जानों से बहुत,
मेरी जान मेरी जान को सलामत रखो !
मेरी लाडो को यूँ बेनाम मत रखना,
वो जान मेरी, बदकिस्मत मैं वो अबतक बेनाम है !
क्या इतनी सी ख्वाहिश पूरी नहीं करोगे मेरी !
आओ, लग जाओ गले, ये हम तीनों की साथ -साथ
वो आखिरी शाम है !
🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠
द्वारा :- KO#SH
#love #aakhirishaam
आँखे खोली हैँ....
चूम लो उन हाथों को
इनके लिए तो मेरी सारी तकलीफें थोड़ी हैँ !
अब कोशिश ना करो यूँ दुलार छुपाने की !
अरे देखो तो ज़रा... इसकी कलाइयां तो मुझसे
भी गोरी हैँ......
देखो तो कैसे खिलवाड़ कर रही है,
दादी की गोद में जाने को कैसे इकरार कर रही है
अरे सँभाल कर.... यूँ आदत नहीं तुम्हें गोद
लेने की !
कुछ कह भी दो अब !!!
अब तो मेरी हसरतें भी तुम्हारी खामोशी से कुछ
सवाल कर रही हैँ ....
नए मौके आए हैँ, नई यादें बनाने के !
क्या हुआ अगर वो पुरानी यादें कहीं छूट सी रही हैँ !
जो जान है ना, नन्ही सी, तुम्हारी गोद में,
यकीन मानो.. उसकी वजह से नहीं, उसके लिए
मेरी साँसे आज कुछ टूट सी रही हैँ !
अरे ख़ुशक़िस्मत हो तुम !
ख़ुशक़िस्मत हो तुम कि वो किलकारी उठी तुम्हारी
गोद में... पहली बार वो उन बाहों में ही खेली है...
मैं तो तरस गई उसे सीने से लगाने के लिए...
जिसकी सिर्फ झलक पाने के लिए मैंने वो दर्द
भरी रातें पूरे नौ महीनों तक झेली हैँ !
ज़रा गौर करो कैसे पाँव हिलाकर तुम्हें हँसाना
चाहती है,
जिन आँखों से आँसुओ की ज्वाला है बह रही,
देखो उन्हें हमेशा के लिए वहाँ से मिटाना चाहती है !
वो जानती कुछ नहीं...
फिर भी आज वो मेरी जगह, मेरी तरह
तुम्हें रोते -रोते हँसाना जानती है !
अरे खुशियाँ मनाओ,
ये खुशियां हमारे आँगन में कितने दिनों
बाद लौटी हैँ,
देखो, ऐसे ठुकराओ मत इन्हें
देखो उसकी आँखों में, उसकी पुकार सुनो...
अच्छा यही मान लो कि खुदा ने तुम्हारी एक जाँ
लेकर एक जाँ और सौंपी है !
यूँ मायूस देखकर तुम्हें बताओ वो क्या सोचेगी,
हर बात पर है रोना.. बस यही सीखेगी !
ज़रा सोचो तुम्हारे बिना वो कैसे रहेगी,
माँ के आँचल में छुपकर भूख मिटाना भी जिसे
नसीब नहीं हुआ,
अब पापा की नफरत भी वो कैसे सहेगी.....
तुम प्यार हो मेरा,
तुमने नज़रें मिलाकर कहा है....
और इन लवजों का समंदर मेरे अंदर अब तक रहा
है !
देखो वो काँप रही है.....
उसे प्यार से अपनी बाहों में लपेट लो...
मेरी इक हसरत है कि
इस समंदर को तुम दोनों अब आपस में ही
समेट लो !
अब यूँ ही जा रही हुँ छोड़कर
हाय मैं मर्जावा कैसी दिव्य उसकी सूरत है....
और तुम जिसे मेरी मौत का जुर्मी हो समझ रहे !
अरे ज़रा गौर से देखो उसे... वह तो मेरी ही मूरत
है !
मैं तो बस ज़रिया थी एक इस नन्ही जान को निचे
उतारने का....
उसे वजह नहीं, मेरी मौत को उसके लिए मेरी
शहादत कहो ....
दूर जा रही हुँ अपनी दो जानों से बहुत,
मेरी जान मेरी जान को सलामत रखो !
मेरी लाडो को यूँ बेनाम मत रखना,
वो जान मेरी, बदकिस्मत मैं वो अबतक बेनाम है !
क्या इतनी सी ख्वाहिश पूरी नहीं करोगे मेरी !
आओ, लग जाओ गले, ये हम तीनों की साथ -साथ
वो आखिरी शाम है !
🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠
द्वारा :- KO#SH
#love #aakhirishaam
Related Stories