...

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जिंदगी की सच्चाई
कहीं होंठों पर मुस्कान नज़र आती है "
कहीं आँखो में आँसू नज़र आते है,
अस्पताल के अलग-अलग कमरों में "
इश्वर के रचाए हुए खेल समझ में आते है,,,,,॥

कोई मरते हुए भी जी जाता हैं "
कोई बैठे-बैठे ही मौत के घाट उतर जाता है,
जीवन का असली महत्व तो अक्सर "
अस्पताल के कमरों मे ही नज़र आता है,,,,॥

कोई बिल्कुल बेशुध होकर जीवन की "
आखरी साँसे बेड पर लेटा ले रहा होता है,
कोई इन कष्टों से छुटकारा दिलाने के लिए"
उनकी मौत की दुआएं मांग रहा होता है,,,,॥

कोई बैठा अस्पताल के कमरे में "
किसी अपने का इंतज़ार कर रहा होता है,
कोई अपनों से दूर जाने के लिए "
आत्महत्या को गले लगा लेता है,,,,,॥

जीवन में सिर्फ हम ही दुखी नही है  "
यह अस्पताल में ही जाकर समझ आता है,
कोई लाइन में लगा चिला रहा होता है "
कोई शांत रहने के लिए उनसे गिड़गिड़ा रहा होता है,,,॥

कोई अपनो के मरने पर चीख़-चीख़ कर रो रहा होता है "
कोई अपनो के ठीक होने पर खुश हो रहा होता है,
कब, कहाँ, क्या गलतियाँ हमने अपने जीवन में की है "
यह सब अस्पताल के कमरों में आँखो के सामने आता है,,,,॥

काश! अपने स्वास्थ के बारे में भी हमने सोचा होता "
अस्पताल ना खुद को हमने पहुंचाया होता,
कुछ ऐसे गलतियों का वहां पश्चताप होता है "
ईश्वर का रचाया खेल बड़ा ही निराला होता है,,,,,॥

अस्पताल के कमरों में जब हमारा कोई अपना"
जीवन और मौत के बीच मे जंग लड़ रहा होता है,
डर,घबराहट,उम्मीद,अहमियत और विश्वास क्या होता है "
यह सबसे ज्यादा हमे उसी समय में समझ आता है,,,,,॥

किसी के पास समय तो होता है पर अपना नही होता है "
किसी के पास अपना तो होता है पर समय नही होता है,
हमसे भी कहीं ज्यादा परेशान है लोग इस दुनिया में "
अस्पताल के कमरों में इन्ही बातों का जिक्र होता है,,,,,॥

ठीक होकर जब कोई मरीज वापस घर को लौट जाता है "
देखकर उस मरीज को कहीं ना कहीं दूसरे को सुकून आता है,
लेकिन ईश्वर भी ना जाने क्यों कभी-कभी खेल-खेल जाता है "
तोड़ता है उसकी उम्मीद, वह इंसान दुनिया छोड़ जाता है,,,,॥


© Himanshu Singh