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शीर्षक: आओ मिलते है, कभी किसी इतवार को,
शीर्षक: आओ मिलते है, कभी किसी इतवार को,
आओ मिलते हैं,
कभी किसी इतवार को,
मैं वैसा नहीं हूं,
जैसा मिलता हूं,
सोमवार को।
चुप सी उदासी में,
बातों की चादर बुनेंगे,
हंसी की खुशबू से,
दिलों को महकायेंगे।
जिंदगी के किस्सों को,
फिर से दोहराएंगे,
सपनों के रंगीन पंख,
मिलकर सजायेंगे।
फुर्सत के पलों में,
एक नई राह खोजेंगे,
आओ मिलते हैं,
कभी किसी इतवार को।
स्वरचित
अंकित पांडेय
एसजेएस पब्लिक स्कूल
गौरीगंज अमेठी
उत्तर प्रदेश 227409
© @Ankit
आओ मिलते हैं,
कभी किसी इतवार को,
मैं वैसा नहीं हूं,
जैसा मिलता हूं,
सोमवार को।
चुप सी उदासी में,
बातों की चादर बुनेंगे,
हंसी की खुशबू से,
दिलों को महकायेंगे।
जिंदगी के किस्सों को,
फिर से दोहराएंगे,
सपनों के रंगीन पंख,
मिलकर सजायेंगे।
फुर्सत के पलों में,
एक नई राह खोजेंगे,
आओ मिलते हैं,
कभी किसी इतवार को।
स्वरचित
अंकित पांडेय
एसजेएस पब्लिक स्कूल
गौरीगंज अमेठी
उत्तर प्रदेश 227409
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