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"आंतरिक भावना तेरे लिए"
में सोता नहीं हूं अक्सर,
इस कदर नज़रों के,
नज़ारों में बसी है तू,
बचा लेता हूं खुदको,
सर्द हवाओं से हर बार,
तेरी यादों की चादर ओढ़ कर,
में अक्सर,
मेरे दर्द की दवा,
कभी ख़राब नहीं होती,
शायद इसीलिए
अपने मर्ज़ को तरो ताज़ा,
बनाये रखता हूं, में अक्सर...... 🖊️🖊️
© Sarang Kapoor
इस कदर नज़रों के,
नज़ारों में बसी है तू,
बचा लेता हूं खुदको,
सर्द हवाओं से हर बार,
तेरी यादों की चादर ओढ़ कर,
में अक्सर,
मेरे दर्द की दवा,
कभी ख़राब नहीं होती,
शायद इसीलिए
अपने मर्ज़ को तरो ताज़ा,
बनाये रखता हूं, में अक्सर...... 🖊️🖊️
© Sarang Kapoor
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