...

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raat ka aalam ajib tha...
यूँ ही भीगे चाँदनी मैं,
के बारिश का मौसम तो नहीं था,

वो घिर जाता था कभी बादलों में,
कुछ अंधेरो को भी गुरूर था,

वो मेरा ही चाँद था मगर हद्द से दूर था,
के जिसके लिए सीधी राहों पर भी भटका जरूर था,

वो शब में ताकना उसको सुकून देता था,
ख़्वाबों की तलाश मैं नींदों का आना भी जरूर था,

सो ही जा के अब "जावेद" वो led लाइट वाले हुए,
चिराग़ों सा तेरा ये दिल का जलना सब फ़िज़ूल था...
© y2j